5 Essential Elements For Shodashi
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Shodashi’s mantra encourages self-self-control and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate bigger control over their thoughts and steps, bringing about a far more conscious and purposeful approach to existence. This gain supports particular advancement and self-discipline.
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
She is depicted as being a 16-year-old Lady with a dusky, purple, or gold complexion and a 3rd eye on her forehead. She is one of the ten Mahavidyas which is revered for her beauty and electric power.
Goddess Lalita is worshipped via a variety of rituals and procedures, like viewing her temples, read more attending darshans and jagratas, and accomplishing Sadhana for both of those worldly pleasures and liberation. Each Mahavidya, such as Lalita, has a specific Yantra and Mantra for worship.
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि